
नमस्कार किसान भाइयों!
आज हम बात करने वाले हैं मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध नीमच मंडी की, जहाँ लहसुन की भारी मात्रा में आवक होती है और यहाँ के भाव देशभर के किसानों के लिए दिशा तय करते हैं। इस लेख में हम जानेंगे आज यानी [दिनांक] को नीमच मंडी में लहसुन की कुल आवक कितनी रही, बाजार का रुख कैसा रहा, और देसी व ऊटी लहसुन की क्या-क्या क़ीमतें रहीं।
अगर आप लहसुन बेचने या खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद काम की साबित होने वाली है। आइए, विस्तार से जानते हैं नीमच मंडी की लहसुन मंडी रिपोर्ट:
1. नीमच मंडी में लहसुन की कुल आवक (Aavak)
आज नीमच मंडी में लहसुन की कुल मिलाकर अच्छी खासी आवक देखने को मिली है। मंडी में दो प्रकार की लहसुन मुख्य रूप से आती है: देसी लहसुन और ऊटी लहसुन।
- देसी लहसुन की आवक: लगभग 12,000 बोरी
- ऊटी लहसुन की आवक: लगभग 13,000 बोरी
इस भारी आवक के बावजूद भी बाजार में कोई खास तेजी या मंदी नहीं देखने को मिली, मतलब बाजार स्थिर रहा। व्यापारी और किसान दोनों ही संतुलित रूप से लेन-देन करते नजर आए।
2. आज का मंडी भाव (Mandi Bhav) – लहसुन
देसी लहसुन (Desi Lahsun)
देसी लहसुन, जो अपनी तीखी सुगंध और स्वाद के लिए जानी जाती है, आज मंडी में अच्छे दामों पर बिकी है। नीचे विभिन्न श्रेणियों के अनुसार भाव दिए गए हैं:
प्रकार | न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल) | अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) |
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चालानसार माल | ₹3000 | ₹4500 |
छर्री माल | ₹4500 | ₹5000 |
मीडियम लड्डू माल | ₹5000 | ₹5500 |
लड्डू माल | ₹6000 | ₹7000 |
मोटा माल | ₹7500 | ₹8000 |
फूल गोल माल | ₹8000 | ₹8500 |
स्पेशल माल | ₹9500 | ₹9700 |
आज का उच्चतम भाव | ₹9300 (बढ़िया माल) |
👉 नोट: बढ़िया किस्म की देसी लहसुन आज ₹9300 प्रति क्विंटल तक बिकी है, जो एक अच्छा संकेत है।
ऊटी लहसुन (Ooty Lahsun)
ऊटी लहसुन, जो आकार में बड़ी और दिखने में चमकदार होती है, आज नीमच मंडी में अच्छी मात्रा में आई और इसके दाम भी संतोषजनक रहे।
ऊटी लहसुन का उच्चतम भाव | ₹11000 प्रति क्विंटल (बढ़िया क्वालिटी) |
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👉 ऊटी लहसुन की कुल आवक लगभग 13,000 बोरी रही और इसका बाजार भी आज समान रहा, यानी कोई विशेष उछाल या गिरावट नहीं रही।
3. मंडी में बाजार की स्थिति (Market Trend)
आज का दिन नीमच मंडी में सामान्य और स्थिर रहा।
- खरीदार और विक्रेता दोनों की संख्या संतुलित रही।
- लहसुन के सभी ग्रेड्स की अच्छी बिक्री हुई।
- बाजार में अफरा-तफरी या मंदी जैसा माहौल नहीं था।
किसानों को उनके माल के उचित दाम मिलते नजर आए, खासकर जिन्होंने अपना माल साफ-सुथरा और ग्रेडिंग करके भेजा था।