जीरा बाजार पर विशेष रिपोर्टः निर्यात रिकॉर्ड पर, लेकिन घरेलू बाजार में दबाव जारी | देखें रिपोर्ट

किसान साथियो और व्यापारी भाइयों, स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत हर साल लगभग 15 लाख टन मसाले निर्यात करता है जिसकी औसत वैल्यू $4.5 अरब है। मसाला निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 25% है और वर्ष 2030 तक इसे $10 अरब तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। मसालों में सबसे मुख्य मसाला है जीरा जिसका बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है। आज की रिपोर्ट में हम जीरा के बाजार का विश्लेषण करेंगे।

जीरा निर्यात में गाड़े झंडे
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 11 महीनों (अप्रैल से फरवरी) के दौरान भारतीय जीरे के निर्यात ने ऐतिहासिक ऊंचाई छू ली है। भारतीय मसाला बोर्ड के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में 2,11,143.75 टन जीरे का निर्यात हुआ, जिसकी कीमत ₹5734.36 करोड़ रही। यह पिछले वर्ष की तुलना में मात्रा के हिसाब से 60% और मूल्य के हिसाब से 17% की बढ़ोतरी दर्शाता है। इसके पीछे प्रमुख कारण यह रहा कि उस समय वैश्विक मांग मजबूत थी, कीमतें तुलनात्मक रूप से नीची थीं और भारत में आपूर्ति प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी।

बाजार में कमजोर भाव
हालांकि, इस समय घरेलू थोक किराना बाजार और प्रमुख मंडियों में जीरे का भाव कमजोर होता दिख रहा है। ऊंझा मंडी से मिल रही रिपोर्ट के अनुसार, वहां करीब 13,000 बोरी जीरे की आवक रही और जीरा जीएल गुलाब और गणेश वैरायटी में 40-40 रुपए प्रति 20 किलोग्राम की मंदी आई है। जीएल गुलाब अब 4300/4320 रुपए और गणेश 4360/4380 रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। थोक बाजार में मशीन क्लीन और सामान्य जीरा भी 500-500 रुपए मंदा होकर क्रमशः ₹23,400/24,100 और ₹24,400/25,700 प्रति क्विंटल रह गया है। एक सप्ताह में जीरे में कुल 400 रुपए की मंदी दर्ज की गई है।

विदेशों की डिमांड कमजोर
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि घरेलू बाजार में मांग सुस्त बनी हुई है जबकि पिछले साल की मजबूत निर्यात लिवाली के कारण इस बार विदेशी मांग में भी ठहराव है। कई आयातक देशों ने पिछले वर्ष जरूरत से अधिक स्टॉक कर लिया था और अब वे नई खरीदारी में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। खासकर चीन, जिसने बड़े स्तर पर जीरा खरीदा था, वहां जुलाई में नई फसल आने की संभावना है जिससे मौजूदा मांग और भी कमजोर हो सकती है।

सुधार की उम्मीद कितनी
दूसरे पहलू को देखें तो साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि भारत में इस वर्ष जीरे की पैदावार घटने का अनुमान है। बुवाई क्षेत्र में गिरावट और खराब मौसम के कारण उत्पादन घटकर 65 से 90 लाख बैग तक सीमित रह सकता है जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 1.15 करोड़ बैग तक था। कुल मिलाकर निष्कर्ष यह है कि निकट भविष्य में भले ही जीरा का सेंटीमेंट कमजोर नजर आ रहा है लेकिन लंबी अवधि को देख तो कीमतों में उछाल की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। व्यापार अपने विवेक से करें।

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