इस हफ्ते सोयाबीन में तेजी के कितने चांस । क्या कहता है बाजार का रूझान

किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, हमने पहले भी अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है कि वर्तमान में सोयाबीन बाजार पर आपूर्ति का दबाव बना हुआ है और कीमतों में कमजोरी का रुख जारी है। शनिवार को महाराष्ट्र में कीर्ति प्लांट पर सोयाबीन की का भाव कमजोर होकर 4500 की रेंज में आ गए हैं। यह एक मजबूत सपोर्ट स्तर माना जा रहा है। यदि यह स्तर टूटता है तो कीमतें 4350-4400 रुपये तक गिर सकती हैं, लेकिन इससे नीचे गिरावट की संभावना कम है।। पिछले सप्ताह सोयाबीन मांग सामान्य रही, लेकिन आपूर्ति उससे अधिक होने के कारण भाव दबाव में रहे। नाफेड अब तक लगभग 2.70 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बेच चुका है, जिससे बाजार में सप्लाई बनी हुई है।

हालांकि नाफेड कम दरों पर बिकवाली के पक्ष में नहीं है और केवल उन्हीं बिड्स को स्वीकार कर रहा है जो अपेक्षाकृत ऊँचे हैं, जिससे गिरावट सीमित रही है। सोया मील की कीमतों में इस सप्ताह कुछ नरमी आई, लेकिन अप्रैल में भारत का सोया मील निर्यात सालाना आधार पर 15.50% बढ़कर 2.30 लाख टन पहुंच गया, मुख्यतः अमेरिका-चीन टैरिफ विवाद के चलते आयातकों ने भारत से खरीदी की। इसके बावजूद, घरेलू मंडियों में सोयाबीन के भाव पर इस निर्यात वृद्धि का कोई विशेष असर नहीं पड़ा है। वर्तमान सप्लाई-डिमांड समीकरण को देखते हुए निकट भविष्य में किसी बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। जब कि DOC का निर्यात बढ़ने के चलते लंबी अवधि में सुधार बन सकता है।

आगामी भावों की दिशा मानसून की प्रगति और किसानों की बुवाई रुचि पर निर्भर करेगी। मंडी मार्केट मीडिया का मानना है कि किसान अपना माल होल्ड कर सकते हैं। दिवाली तक उन्हें MSP या उसके उपर का भाव मिल सकता है। स्टॉकिस्टों के लिए जुलाई अंत के आसपास एक अच्छा खरीदारी अवसर बन सकता है, क्योंकि अगस्त से अक्टूबर के बीच बाजार में अच्छी रिकवरी की उम्मीद है। नोट:

पूरी रिपोर्ट यहाँ पढ़ें
किसान साथियों, सोयाबीन की बिजाई का वक्त बेहद करीब है। मानसून की समय से दस्तक की उम्मीद ने किसानों में एक नई ऊर्जा भर दी है। यही कारण है कि कई किसान अपने पुराने स्टॉक को मंडियों में बेचने की ओर झुकाव दिखा रहे हैं। लेकिन इसी के साथ किसानों के मन में एक उलझन भी है- पिछले साल का अच्छा उत्पादन और विदेशी आयात से भरे गोदामों ने इस बार बाजार को थोड़ा भारी बना दिया है। क्योंकि नैफेड के पास सोयाबीन का बड़ा स्टॉक है, जिसकी खरीद 4892 रुपए प्रति क्विंटल के MSP पर की गई थी। यह स्टॉक फिलहाल बाजार में नहीं उतरा है, लेकिन जैसे ही सरकारी अनुमति मिलेगी, कीमतों पर और दबाव आने की आशंका है। अगर बात करें इस सप्ताह की, तो हर हफ्ते की तरह इस बार भी सोया बाजार में हलचल रही। कहीं थोड़ी गिरावट, तो कहीं मामूली सुधार।

सोयाबीन, सोया तेल और सोया डीओसी से जुड़ी आंकड़े और खबरें किसान, व्यापारी और इंडस्ट्री तीनों के लिए बेहद अहम होती हैं। तो आइए, इस हफ्ते यानी 17 मई से 23 मई 2025 के दौरान क्या रहा सोया बाजार का मूड, इन सभी बातों को आंकड़ों के माध्यम से विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट में।

प्लांट डिलीवरी भाव
दोस्तों, इस सप्ताह मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के प्लांटों में सोयाबीन का डिलीवरी भाव 25 से 50 रुपए प्रति क्विंटल तक नरम रहा। वहीं राजस्थान (कोटा) में हल्की मज़बूती दिखी। इससे यह साफ है कि क्रशिंग यूनिट्स की तरफ से मांग कमजोर बनी हुई है और किसान अब धीरे-धीरे माल निकालना शुरू कर रहे हैं। इसके अलावा अगर बात करें सोया तेल की, तो इस हफ्ते सोया रिफाइंड तेल में भी कोई खास जोश नहीं दिखा। सोया तेल की कीमतों में भी इस सप्ताह 5 से 15 रुपए प्रति 10 किलो तक गिरावट देखी गई। अगर प्लांटों में सोया तेल के दामों की बात करें, तो कोटा में भाव 1275 से घटकर 1270 रुपए प्रति 10 किलो, हल्दिया प्लांट में 1240 से फिसलकर 1230 रुपए प्रति 10 किलो, कांडला में 1235 से गिरकर 1220 रुपए प्रति 10 किलो, जबकि मुंबई में 1250 के पुराने स्तर पर ही टिका रहा। बाजार जानकारों के अनुसार, डिमांड कम होने और रेगुलर सप्लाई के चलते तेल की कीमतें स्थिर से कमजोर बनी रहीं।

मंडियों में आवक का रुझान
दोस्तों, सप्ताह के अंत तक सोयाबीन की आवक में भी कुछ उतार-चढ़ाव दिखा। अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें, तो 21 मई को सोयाबीन की आवक 2.40 लाख बोरी रही, 22 मई को आवक 1.90 लाख बोरी रही, वहीं 27 मई को सोयाबीन की आवक 2.60 लाख बोरी रही। यह बदलाव दिखाता है कि किसान मौसम और कीमतों को देखकर ही स्टॉक निकाल रहे हैं।

सोया डीओसी (खली) की स्थिति
दोस्तों, सोया खली (DOC) का कारोबार भी इस हफ्ते थोड़ा सुस्त रहा, खासकर महाराष्ट्र में। अप्रैल में इसका औसत निर्यात मूल्प $378 प्रति टन था, लेकिन अब कुछ कमजोर हुआ है। अगर घरेलू खपत की बात करें, तो सोया खली की घरेलू खपत में भी ज्यादा तेजी नहीं है, क्योंकि पशुपालन और पोल्ट्री सेक्टर में थोड़ी अनिश्चितता है, जो खली की मांग को प्रभावित कर रही है।

अंतरराष्ट्रीय हलचल
अगर अंतरराष्ट्रीय बाजारों की बात की जाए, तो चीन में ब्राज़ील से सोयाबीन के आयात में 22% गिरावट देखी जा रही है, क्योंकि अप्रैल में चीन ने ब्राज़ील से सिर्फ 46 लाख टन सोयाबीन आयात किया, जो पिछले साल से 22.2% कम है। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जैसे कि फसल तैयार होने में देरी, शिपमेंट और कस्टम क्लीयरेंस की दिक्कतें और वैश्विक आपूर्ति संकट जैसे कारणों ने चीन के आयात को प्रभावित किया। यही नहीं, अमेरिका से भी चीन का आयात 13.7% घटकर सिर्फ 13.8 लाख टन रह गया। लेकिन अब टैरिफ को लेकर चीन-अमेरिका के बीच की अनिश्चितता कुछ हद तक सुलझती दिख रही है, जिससे आने वाले महीनों में आयात बढ़ने की उम्मीद है।

ब्राज़ील से सोयामील निर्यात में जोरदार उछाल
दोस्तों, सोया खली यानी सोयामील (DOC) के मोर्चे पर ब्राजील ने अच्छा प्रदर्शन किया है। मई के पहले 9 दिन में ब्राज़ील से 9.90 लाख टन निर्यात हुआ, जो पिछले साल से 60.2% ज्यादा है। इससे यह साफ है कि दुनिया के बाजारों में अभी भी ब्राज़ील की पकड़ मजबूत है, खासकर भारत जैसे देशों में, जहां डिमांड बनी हुई है।

भारत का ऑयलमील निर्यात
SEA (Solvent Extractors’ Association) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2025 में भारत से ऑयलमील का निर्यात 4.65 लाख टन रहा, जो पिछले साल के लगभग बराबर है। लेकिन अगर नवंबर 2024 से अप्रैल 2025 की पूरी अवधि को देखें, तो पता चलता है कि सोया खली का कुल निर्यात 13.35 लाख टन रहा, जो पिछले साल से 3 लाख टन कम है। वहीं दूसरी तरफ इसका असर सरसों की खली पर भी दिखाई दिया, जिसके चलते सरसों खली भी थोड़ा गिरकर 9.11 लाख टन पर आ गई। आने वाले समय में अगर चीन भारतीय खलियों पर लगे नियमों में ढील देता है, तो भारत इस मोर्चे पर फिर से उभर सकता है।

ताजा मार्केट अपडेट
सोया और खाद्य तेल बाजार में इस समय बड़ी दिलचस्प हलचल देखी जा रही है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की ज़्यादातर मंडियों में सोयाबीन की आमद (arrival) बेहद कम और भाव भी कई जगह स्थिर बने हुए हैं। महाराष्ट्र में सोया का न्यूनतम भाव 3000 रुपए प्रति क्विटल और अधिकतम भाव 4380 रुपए प्रति किंटल रहा, जबकि मध्य प्रदेश में न्यूनतम 3800 रुपए प्रति क्विटल और अधिकतम भाव 4400 रुपए प्रति किटल रहा। इसके अलावा गुजरात और राजस्थान में भी सोया की आमद और भाव में स्थिरता दिखी है। लेकिन सबसे अहम बात ये है कि क्रशिंग डिमांड यानी प्रोसेसिंग प्लांट्स की डिमांड अभी बहुत कम है, जिससे उठाव नहीं हो पा रहा। यही कारण है कि सोया रिफाइंड की कीमतों में भी गिरावट देखी गई है।

आयात निर्यात स्थिति
दोस्तों, अप्रैल में सोयामील का निर्यात 2.1 लाख टन रहा, जो पिछले साल के अप्रैल की तुलना में थोड़ा बेहतर है, लेकिन पूरे साल की तुलना में अब भी ये आंकड़ा घटा हुआ है। नवंबर से अप्रैल के दौरान 13.35 लाख टन सोयामील एक्सपोर्ट हुआ, जबकि इसी अवधि में पिछले साल 16.58 लाख टन हुआ था। इसका एक बड़ा कारण चीन और अमेरिका के बीच का टैरिफ वॉर भी रहा, जिससे व्यापार धीमा पड़ा। लेकिन अब माहौल थोड़ा सुधरता नजर आ रहा है। अगर मई-जून से ब्राजील की सप्लाई तेज़ होती है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार पर इसका असर दिखेगा। हालांकि, अर्जेंटीना द्वारा सोया और इसके उत्पादों पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने की वजह से वहां की सप्लाई दबाव में आ सकती है।

चीन में अप्रैल महीने में ब्राज़ील से सोया का आयात 22.2% गिरा, और अमेरिका से भी 13.7% की गिरावट दर्ज की गई। कुल मिलाकर अप्रैल में 60.8 लाख टन का सोया आयात हुआ, जो 2015 के बाद सबसे कम है। इसके पीछे टैरिफ वॉर और सप्लाई चैन की अस्थिरता मुख्य कारण हैं। SEA (Solvent Extractors’ Association) के अनुसार, अप्रैल में भारत से कुल 465,863 टन ऑयलमीत का निर्यात हुआ, जो पिछले साल अप्रैल से थोड़ा बढ़ा है। लेकिन सोयाबीन और सरसों खली – दोनों का एक्सपोर्ट पिछले साल की तुलना में घटा है।

कांडला FAS $202 प्रति टन, जबकि हैम्बर्ग की कीमत $205 प्रति टन है। पशु और पोल्ट्री उद्योग में 1000 की उपयोगिता तेजी से बढ़ रही है, जिससे सोया, रेपसीड और डीओआरबी की डिमांड पर असर पड़ा है। उधर नेपाल ने अगस्त से जुलाई की अवधि में 3.74 लाख टन सोया तेल का निर्यात किया, जबकि कच्चे सोया का आयात 8.39 लाख टन किया। इसी तरह 4.57 लाख टन सूरजमुखी तेल का एक्सपोर्ट और 1.66 लाख टन कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात दर्ज किया गया। 32 हजार टन पाम तेल का आयात और 6685 टन का निर्यात भी दर्ज किया गया है। नेपाली तेल का इतना बड़ा निर्यात SAFTA समझौते का उल्लंघन माना जा रहा है क्योंकि भारत में जीरो ड्यूटी पर इनका आयात होता है, जिससे भारतीय तेल उद्योग को नुकसान हो रहा है। SEA और IVPA जैसी संस्थाएं सरकार से इस पर एक्शन लेने की अपील कर चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

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