क्या सोयाबीन का भाव ₹4400 से निकलकर ₹5000 पार करेगा? 2026 में कहां पहुंचेगा रेट?


क्या सोयाबीन का भाव ₹4400 से निकलकर ₹5000 पार करेगा? 2026 में कहां पहुंचेगा रेट?

भारत के किसानों के लिए सोयाबीन न सिर्फ एक प्रमुख तिलहन फसल है, बल्कि आमदनी का एक अहम स्रोत भी है। बीते कुछ वर्षों में सोयाबीन की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। फिलहाल देश के कई मंडियों में सोयाबीन का भाव ₹4100 से ₹4400 प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या सोयाबीन का भाव अब ₹5000 का आंकड़ा पार कर पाएगा या नहीं? और आने वाले 2026 में इसके दाम क्या होंगे?

इस लेख में हम जानेंगे कि भाव बढ़ने की संभावनाएं क्या हैं, कौन-कौन से कारक असर डाल सकते हैं, और क्या आने वाले समय में किसानों को ज्यादा लाभ मिल पाएगा या नहीं।


📉 वर्तमान स्थिति: MSP से नीचे बिक रहा है सोयाबीन

वर्ष 2025 में भारत सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹4892 प्रति क्विंटल तय किया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि आज की तारीख में कई प्रमुख मंडियों जैसे इंदौर, मंदसौर, विदिशा, अकोला, और नागपुर में सोयाबीन का भाव ₹4100 से ₹4400 के बीच ही मिल रहा है। यह MSP से भी कम है, जो कि चिंता का विषय है।

कई किसान इससे निराश हैं और विकल्प के तौर पर मक्का, मूंगफली या गन्ने की खेती की ओर झुकाव दिखा रहे हैं। इससे सोयाबीन के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट आने की संभावना है, जो आगे चलकर कीमतों को प्रभावित कर सकती है।


📊 उत्पादन में गिरावट: कीमतों में उछाल की संभावना?

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसानों का झुकाव अन्य फसलों की ओर बढ़ता रहा, तो 2025 के खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवाई में कमी आएगी। अगर मानसून सामान्य रहता है, फिर भी उत्पादन में गिरावट संभावित है।

उत्पादन कम होगा तो बाजार में सोयाबीन की उपलब्धता घटेगी। कम आपूर्ति का मतलब है कि मांग अधिक होने पर कीमतें ऊपर जाएंगी। यही कारण है कि 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक सोयाबीन के भाव में उछाल आ सकता है।


🌍 वैश्विक बाजार का प्रभाव

भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार भी सोयाबीन के दामों को प्रभावित करते हैं। ब्राजील और अमेरिका जैसे देश सोयाबीन के बड़े उत्पादक हैं। हाल ही में ब्राजील ने संकेत दिए हैं कि वह 2026 तक अपना उत्पादन और निर्यात बढ़ाएगा। इससे वैश्विक बाजार में आपूर्ति बढ़ सकती है और अंतरराष्ट्रीय कीमतें स्थिर रह सकती हैं।

लेकिन भारत की बात करें तो घरेलू मांग भी तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2026 तक भारत में सोयाबीन की खपत 646,000 मीट्रिक टन तक पहुंच सकती है, जो कि 2021 की तुलना में काफी अधिक है। बढ़ती खपत से कीमतों में तेजी बनी रह सकती है।


🏛️ सरकारी नीति और समर्थन

भारत सरकार ने किसानों को समर्थन देने के लिए तेल बीजों पर आयात शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। उद्देश्य यह है कि देश के किसान बेहतर दाम पर अपनी उपज बेच सकें।

हालांकि पिछले वर्षों में भी जब ऐसा कदम उठाया गया था, तब भी बाजार में भाव गिरे थे। इसका एक कारण यह था कि नीति का क्रियान्वयन समय पर नहीं हुआ और आयातक कंपनियों ने पहले ही स्टॉक बना लिया था।

लेकिन अगर इस बार नीति को सही समय पर और प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है, तो इससे सोयाबीन की कीमतों को समर्थन मिल सकता है।


📅 2026 में सोयाबीन का संभावित रेट

कई विश्लेषकों और बाजार विशेषज्ञों की मानें तो यदि:

  • मानसून सामान्य रहता है,
  • किसान सोयाबीन की बुवाई कम करते हैं,
  • वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं,
  • और सरकार सही समय पर नीति लागू करती है,

तो सोयाबीन का भाव ₹5000 प्रति क्विंटल पार कर सकता है। कुछ विश्लेषणों में तो 2026 के मध्य तक भाव ₹5200–₹5500 तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।

लेकिन यदि मानसून खराब होता है, या वैश्विक आपूर्ति बहुत बढ़ जाती है, तो यह ₹4600–₹4800 के बीच भी रह सकता है।


✅ किसान भाइयों के लिए सलाह

  1. फसल विविधीकरण अपनाएं – एक ही फसल पर निर्भर न रहें।
  2. बाजार की जानकारी रखें – नजदीकी मंडियों के भाव पर नजर रखें।
  3. भंडारण की व्यवस्था करें – यदि संभव हो, तो उपज को थोड़े समय के लिए रोक कर बेहतर भाव पर बेचें।
  4. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं – MSP और बीमा योजनाओं से जुड़े रहें।

✍️ निष्कर्ष

तो दोस्तों, कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि सोयाबीन के भाव में सुधार की पूरी संभावना है। यदि स्थितियां अनुकूल रहीं तो 2026 में ₹5000 का आंकड़ा पार करना मुश्किल नहीं होगा। हालांकि इसके लिए किसानों, सरकार और बाजार तीनों की भूमिका अहम होगी।

आप अपने फैसले सोच-समझकर लें और बाजार की स्थिति पर लगातार नजर रखें। अच्छी खेती के साथ-साथ स्मार्ट बिक्री भी जरूरी है, ताकि आपकी मेहनत का सही दाम मिल सके।

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